Sunday, 29 October 2017

WBHS XII Tax: गृह संपत्ति से आय (Income from House Property)


गृह संपत्ति से आय  (इनकम फ्रॉम हाउस प्रॉपर्टी)


¶ करारोपण का आधार (basis of charge)

  धारा 22 के अनुसार  गृह संपत्ति पर करारोपण का आधार किराया आय नहीं बल्कि संपत्ति का वार्षिक मूल्य यानी एनुअल वैल्यू है।

• आवश्यक शर्तें
गृह संपत्ति से आय पर करारोपण के लिए निम्नलिखित शर्तों का पूरा होना आवश्यक है।

क.  गृह संपत्ति में इमारत (बिल्डिंग) और उससे संग्लन  जमीन होना आवश्यक है.

ख. करदाता यानी assessee इस संपत्ति का मालिक होना चाहिए.

ग. गृह संपत्ति का उपयोग स्वामी द्वारा व्यवसाय या पेशा (जिनके आय पर कर दिया जाता हो) चलाने के लिए नहीं होना चाहिए।

¶ इमारत और संलग्न जमीन वाली संपत्ति 

गृह संपत्ति के आय पर करारोपण के लिए इमारत का होना आवश्यक है। इमारत विहीन किसी जमीन से प्राप्त आय को इस शीर्षक (head) के अंदर करारोपित नहीं  किया जा सकता।

● इमारत का अर्थ
साधारण अर्थ में इमारत का अर्थ आवासीय इमारत, भंडारगृह, सभागार, सिनेमाघर, कार्यालय, संगीत घर, भाषण घर, इत्यादि हो सकता है।

 उच्चतम न्यायालय के अनुसार किसी ढांचा (structure) का इमारत होने के लिए उस पर छत होना अनिवार्य नहीं है। लेकिन सामयिक (temporary) उद्देश्य के लिए किसी ढांचा पर अगर किसी प्रकार का छत भी हो, तो भी उसे इमारत नहीं माना जाएगा; जैसे मेला इत्यादि के लिए बनाए गए ढांचे।
 इमारत से संलग्न भूमि का अर्थ किसी भी प्रकार के खाली जमीन से है जो कि उस इमारत का अभिन्न अंग है। यह इमारत तक पहुंचने का रास्ता, सामने का खाली स्थान, खेलने के लिए खाली जमीन, बगीचा, रसोईघर, गाड़ी रखने का स्थान, इत्यादि हो सकता है।

¶ मानद स्वामी (deemed owner)
 कानून की धारा 27 के अंतर्गत  कोई करदाता अगर किसी गृह संपत्ति का वास्तविक स्वामी ना भी हो, तो निम्नलिखित मामलों में उसे उस गृह संपत्ति का स्वामी माना जाएगा और ऐसे गृह संपत्ति  से आय पर कर का भुगतान करने के लिए वह  जिम्मेदार होगा...
 क. अगर कोई व्यक्ति पर्याप्त प्रतिफल (adequate consideration) के अभाव में अपने पति या पत्नी या  संतान को गृह संपत्ति हस्तांतरित करें. अगर यह हस्तांतरण विवाह-विच्छेद (legal separation, i.e. divorce) के कारण या विवाहित बेटी के साथ हो, तो इन्हें अपवाद माना जाएगा।

ख.  किसी अविभाज्य जायदाद (impartible estate) के धारक को इस प्रकार हस्तांतरित की गई गृह संपत्ति का मानद स्वामी माना जाएगा .

 ग. किसी सहकारी समिति (cooperative society), कंपनी या व्यक्तियों के गुट (association of person) के सदस्य (member) जिसे कोई इमारत या उसका कोई भाग आवंटित या पट्टे (lease) पर किसी गृहनिर्माण योजना (स्कीम) के अंतर्गत प्राप्त हुआ है. उन्हें भी ऐसे संपत्ति का मानक स्वामी माना जाता है ।

घ. ट्रांसफर ऑफ प्रॉपर्टी एक्ट 1882  के धारा 53ए में उल्लेखित किसी अनुबंध को पूरा करने के कारण किसी व्यक्ति को अगर किसी इमारत या उसके किसी हिस्से पर स्वामित्व रखने की अनुमति मिले तो उसे भी इस संपत्ति का मानद स्वामी माना जाएगा.

च. अगर कोई व्यक्ति दीर्घकालीन पट्टे (long term lease) के जरिए किसी संपत्ति पर अधिकार हासिल करता है, तो उसे भी  मानद स्वामी माना जायेगा। धारा 269UA(f) के अनुसार जो पट्टा 12 वर्षों से कम का नहीं होता उसे दीर्घकालीन पट्टा माना जाता है।

¶ वार्षिक मूल्य (एनुअल वैल्यू)

  किसी गृह संपत्ति के लाभ उत्पन्न करने की अंतर्निहित क्षमता को वार्षिक मूल्य कहा जा सकता है.  जिस धनराशि पर किसी गृह संपत्ति को वर्ष दर वर्ष तर्कसंगत रूप से किराए पर दिए जाने की आशा की जा सकती है उसे वार्षिक मूल्य माना जा सकता है।

• प्राप्त या प्राप्ति-योग्य  किराया (rent received or receivable)

  जब किसी घर को किराए पर दिया जाता है तो इसके फलस्वरूप आय के रूप में किराया प्राप्त होता है यह किराया उस घर के आय करने की क्षमता का परिचायक हो सकता है। केवल घर के उपयोग के लिए प्राप्त किराया तदर्थ (ad hoc) किराया कहलाता है। कभी-कभी अन्य सेवाओं, जैसे दरवान, पानी, बिजली, इत्यादि के लिए भी किराए के साथ कुछ अतिरिक्त धन प्राप्त होता है जिन्हें मूल किराए से अलग कर देना चाहिए.
  प्राप्त या प्राप्त योग्य किराया किसी घर के आय करने की क्षमता का अंतिम साक्ष्य ना होकर प्रथम दृष्टया साक्ष्य है.

• नगरपालिका मूल्य ( मुनिसिपल वैल्यू)
किसी गृहस्वामी पर करारोपण के लिए नगरपालिका अधिकारी उसकी संपत्ति का किराया योग्य मूल्य (lettable value) या नगरपालिका मूल्य (municipal value) जानने के लिए एक निष्पक्ष मूल्यांकन करते हैं. इस मूल्यांकन के आधार पर किराया योग्य मूल्य या नगरपालिका मूल्य पर एक निश्चित प्रतिशत कि दर  से नगरपालिका कर (municipal tax) रोपित (charge) किया जाता है. दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, चेन्नई जैसे महानगरों में नगर पालिका अधिकारी टैक्स निर्धारण के लिए किसी गृह संपत्ति के नगरपालिका मूल्य से मरम्मत और रखरखाव के लिए 10% की छूट देते हैं. आयकर की गणना के लिए ऐसे छूट को पुनः जोड़ दिया जाता है जिससे कुल नगरपालिका मूल्य पता चलता है.

• उचित/न्यायसंगत किराया (फेयर रेंट)
एक ही प्रकार के क्षेत्र में एक ही प्रकार के गृह संपत्ति से जितना किराया अर्जित किया जा सकता है उसे उचित किराया यानी फेयर रेंट कहते हैं. किसी गृह संपत्ति के आय की क्षमता  के निर्धारण के लिए आयकर अधिकारी किसी अन्य गृहस्वामी द्वारा किए गए लेनदेन की भी समीक्षा कर सकते हैं.

• मानक किराया (स्टैंडर्ड रेंट)
 अगर कोई गृह संपत्ति रेंट कंट्रोल एक्ट के अंतर्गत आता हो, तो उसका तर्कसंगत किराया (रीजनेबल रेंट) इस अधिनियम के अनुसार निर्धारित मानक किराया से अधिक नहीं हो सकता. इस प्रकार मानक किराया वार्षिक मूल्य के निर्धारण के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है.

¶ एनुअल वैल्यू की गणना (जब कोई unrealised रेंट ना हो)
1. रीजनएबल एक्सपेक्टेड रेंट की गणना
 ग्रॉस मुनिसिपल वैल्यू और फेयर रेंट में जो धनराशि अधिक हो. लेकिन इस प्रकार प्राप्त धनराशि स्टैंडर्ड से अधिक नहीं हो सकती है.

2. प्राप्त या प्राप्त योग्य किराया  की गणना [धारा 23(1)(b)]

ऊपर के दोनों विकल्पों में जो अधिक होगा वह ग्रॉस एनुअल वैल्यू कहलायेगा.

3. ग्रोस एनुअल वैल्यू से गृहस्वामी द्वारा भुगतान किए गए  म्यूनिसिपल टैक्स इत्यादि घटाने पर नेट एनुअल वैल्यू पता चलता है.

¶ When unrealized rent is allowed to be deducted from rent received or receivable

जब किराएदार किराया बाकी होने पर भी किराया नहीं चुकाता है तो ऐसे किराया को unrealised rent कहते हैं.

निम्नलिखित शर्तों के पूरा होने पर ही unrealised rent को  प्राप्त या प्राप्ति योग किराया से घटाया जा सकता है...

1. किराया अनुबंध bona fide था.
2. किराएदार ने घर खाली कर दिया है या किराएदार से घर खाली करवाने  के लिए आवश्यक सभी कदम उठाए जा चुके हैं.
3. किराएदार गृह स्वामी के किसी अन्य गृह संपत्ति में नहीं रहता हो.
4. बकाया किराया प्राप्त करने के लिए सभी कानूनी कदम उठाए जा चुके हैं या गृहस्वामी कर अधिकारियों को यह समझाने में सक्षम हो जाए कि ऐसी कानूनी कार्यवाहियां बेकार सिद्ध होंगी.

¶ जब किराए पर दिया गया गृह संपत्ति पिछले वर्ष खाली (vacant) रहे.

सुनहरा नियम

निम्नलिखित विधि से वार्षिक मूल्य या एनुअल वैल्यू ज्ञात किया जा सकता है...

1. रीजनेबल एक्सपेक्टेड किराया ज्ञात करें
म्युनिसिपल वैल्यू और फेयर रेंट में जो अधिक हो लेकिन यह धनराशि स्टैंडर्ड रैंट से अधिक नहीं होनी चाहिए.

2. वार्षिक किराया यानी एनुअल रेंट ज्ञात करें अर्थात अगर गृह संपत्ति पूरे साल के लिए किराए पर दी गई हो और इसमें से अगर कोई बकाया किराया हो तो उसे घटा दिया जाए.

3. ऊपर के दोनों विकल्पों में जो अधिक हो उसे चुन लें.

4. तीसरे विकल्प में प्राप्त धनराशि से घर के खाली रहने की अवधि (वैकेंसी पीरियड) का किराया घटा दे.

चौथे विकल्प में प्राप्त धनराशि ही प्रॉपर्टी का ग्रास एनुअल वैल्यू होगा.

¶ ऐसा गृह संपत्ति जो स्वामी के अधिपत्य में हो लेकिन वर्ष के किसी अंश में किराए पर दिया गया हो की एनुअल वैल्यू का निर्धारण [computation of annual value of house property which is self-occupied but let out for part of the year u/s 23(3)]:

  जब गृहस्वामी के अधिपत्य वाला घर वर्ष के किसी अंश में किराए पर दिया जाता है, तो ऐसे गृह संपत्ति के एनुअल वैल्यू का निर्धारण धारा 23 (1) के अनुसार ही किया जाता है. और यह मान लिया जाता है कि यह संपत्ति पूरे वर्ष के लिए किराए पर दिया गया था. रिजनेबल एक्सपेक्टेड रेंट की गणना सामान्य रूप से होगी, लेकिन प्राप्त किराया केवल किराए पर दिए गए अवधि की ही ली जाएगी.

¶ ऐसे गृह संपत्ति के एनुअल वैल्यू का निर्धारण जो गृहस्वामी के आधिपत्य में था लेकिन पिछले वर्ष पूर्ण या आंशिक रूप से खाली था [computation of annual value of a self occupied residential house which remains vacant during the whole or any part of the previous year u/s 23(2)(b)]

 जब किसी घर में गृहस्वामी स्वयं रहता हो और अपने कार्य के कारण पिछले वर्ष या वर्ष के कुछ हिस्से में उस में ना रह सके और अपने नौकरी, व्यवसाय या पेशा के लिए उसे किसी अन्य जगह पर रहना पड़े जिसका वह स्वयं मालिक ना हो, तो ऐसे गृह संपत्ति का एनुअल वैल्यू शून्य माना जाता है. लेकिन  गृहस्वामी को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना आवश्यक है...

1. किसी अन्य स्थान पर नौकरी, व्यवसाय या पेशा के कारण  स्वामी इस घर में ना रह पाया हो.
2. घर या घर का कोई हिस्सा खाली रहा हो.

3. इस घर से किसी भी अन्य प्रकार का लाभ नहीं प्राप्त किया गया हो.

¶ जब गृहस्वामी एक से अधिक घरों में रहता हो यानी एक से अधिक घर को किराए पर नहीं दिया गया हो [computation of annual value in case of more than one self-occupied residential house u/s 23 (4)]

धारा 23(4) के अनुसार अगर कोई मालिक एक से अधिक घरों में रहता हो या रहने के लिए उपयोग करता हो, तो दोनों मैं किसी एक घर का एनुअल वैल्यू शून्य माना जाएगा. और दूसरे घर को किराए पर दिया गया माना जाएगा. अर्थात दूसरे घर के एनुअल  वैल्यू धारा 23(1)(a) के अनुसार निर्धारित किया जाएगा. जिसका अर्थ यह है कि इसका एनुअल वैल्यू म्यूनिसिपल वैल्यू या  फेयर  रेंट में जो अधिक होगा. लेकिन यह धनराशि स्टैंडर्ड रेंट  से अधिक नहीं हो सकता.

निम्नलिखित बातें ध्यान देने योग्य हैं...

• मालिक के पास यह अधिकार होता है कि वह दोनों घरों में से किसी एक घर का एनुअल वैल्यू 0 मान सकता है. इसलिए  जिस घर का एनुअल वैल्यू अधिक हो उसे वह अपने अधिकार में घोषित कर सकता है.

• चुनने का अधिकार प्रतिवर्ष बदला जा सकता है.

• अगर किसी घर में कई रहने लायक इकाइयों हो, और उनमें मालिक रहता हो, तो इन सभी इकाइयों का समुचित एनुअल वैल्यू  शून्य माना जाएगा.

¶  एनुअल वैल्यू से कटौती (deduction from annual value u/s 24)

   किसी गृह संपत्ति के एनुअल वैल्यू से कुछ खर्च और इसे बनाने या खरीदने के लिए लिए गए ऋण के मूल धन और ब्याज के  भुगतान को  घटाया जा सकता है ऐसी कटौतियां को निम्नलिखित रोष दो श्रेणियों में बांट कर समझा जा सकता है।

I.  किराए पर दिए गए घर के  वार्षिक मूल्य से कटौती

१. स्टैंडर्ड डिडक्शन [धारा 24(a)]
 एनुअल वैल्यू के 30%  की कटौती मिलती है. यह कटौती वास्तविक खर्च पर निर्भर नहीं करती.

२.  ऋण ब्याज [धारा 24(b)]
 अगर ऋण के पैसे से गृह संपत्ति को खरीदा, बनाया, मरम्मत करवाया या पुनर्निर्माण कराया गया हो, तो ब्याज के रुप में किए गए भुगतान की पूर्ण धनराशि को वार्षिक मूल्य यानी एनुअल  वैल्यू से घटाया जा सकता है.

II. जिस घर में मालिक स्वयं रहता  हो उसके वार्षिक मूल्य यानी एनुअल वैल्यू में से कटौती. 

ऋण का ब्याज (interest on loan)

•अगर ऋण घर को खरीदने, बनाने, मरम्मत कराने, या पुनर्निर्माण कराने, इत्यादि के लिए 1. 4. 1999 से पहले लिया गया है, तो अधिकतम ₹30,000 तक की धनराशि की कटौती की जा सकती है.

• अगर loan घर के घर की मरम्मत, पुनर्निर्माण, इत्यादि के लिए 1.4.1999 के बाद लिया गया है, तो अधिकतम Rs.30,000 तक की धनराशि की कटौती की जा सकती है.

• और अगर loan घर खरीदने या बनवाने के लिए ली जाती है, तो अधिकतम Rs.200,000 की धनराशि को घटाया जा सकता है.

¶ बकाया किराया (एरियर रेंट) धारा 25बी 

अगर किसी करदाता को गत वर्ष उससे पहले का कोई भी बकाया किराया प्राप्त हो तो 30% स्टैंडर्ड डिडक्शन के बाद शेष राशि को पिछले वर्ष में 'गृह संपत्ति से आय' शीर्षक के अंदर आय माना जाएगा. इस वर्ष करदाता का गृहस्वामी होना आवश्यक नहीं है.

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