ओवरहेड की परिभाषा
किसी व्यवसाय या संगठन को चलाने के लिए किए गए खर्च या लागत को ओवरहैड या उपरिव्यय कहा जाता है. प्रधान लागत (प्रत्यक्ष सामग्री + प्रत्यक्ष मजदूरी) यानी प्राइम कॉस्ट (डायरेक्ट मटेरियल + डायरेक्ट लेबर) और अन्य प्रत्यक्ष खर्च को छोड़कर बाकी सभी खर्चों को सामूहिक रुप से ओवरहेड कह सकते हैं. यह अप्रत्यक्ष लागत होते हैं. इन्हें प्रत्यक्ष रुप से किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन या किसी उत्पादन प्रक्रिया से जोड़ा नहीं जा सकता है. इन्हें किसी उपयुक्त आधार पर विभिन्न वस्तु या सेवाओं या उत्पादन प्रक्रियाओं में बांटा जाता है. फैक्ट्री या ऑफिस इमारत का किराया, ऑफिस के कर्मचारियों का वेतन, विज्ञापन इत्यादि के लिए किए गए खर्च ओवरहेड के कुछ उदाहरण हैं.
ओवरहेड को अप्रत्यक्ष लागत, गैर-उत्पादक लागत, सप्लीमेंट्री खर्च या लागत, भार, लोड या लोडिंग इत्यादि भी कहा जाता है.
किसी भी व्यवसायिक संस्था या संगठन में प्रत्यक्ष खर्चों के अलावा कई प्रकार के अप्रत्यक्ष खर्च अवश्य होते हैं, जैसे अगर किसी औद्योगिक फार्म को ही लिया जाए, तो उत्पादन में व्यवहार किए गए सामग्री और श्रमिकों को दिए गए वेतन के अलावा भी कई प्रकार के अन्य खर्च होते हैं. जिनके बिना उत्पादन प्रक्रिया बाधित हो सकती है. इस प्रकार यह स्पष्ट है कि किसी भी व्यवसायिक संस्था के मूल कार्य को करने के लिए कई प्रकार के अन्य खर्च भी करने पड़ते हैं. और उनसे बचा नहीं जा सकता है. उपरोक्त उदाहरण में फैक्ट्री का किराया, प्रबंधकों और कार्यालय के कर्मचारियों का वेतन, वस्तुओं या सेवाओं के विज्ञापन और प्रचार में खर्च, विक्रय कर्ताओं (sales men) का वेतन और दुकानों के परिचालन का खर्च, इत्यादि अप्रत्यक्ष लागत है. जिनकी अनुपस्थिति में संस्था का संचालन नहीं हो पाएगा; और किसी भी संस्था का अंतिम उद्देश्य उसके द्वारा बनाए गए वस्तु या सेवा के विक्रय के फलस्वरूप लाभ कमाना होता है. इसलिए अगर केवल उत्पादन करना संभव भी हो जाए, तो वस्तु या सेवाओं को बेचकर आय प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के अन्य खर्च करने आवश्यक हैं. ऐसे ही खर्च को ओवरहेड कहा जाता है.
आधुनिक युग में उत्पादन प्रक्रिया और संस्थागत परिचालन और प्रबंधन में बहुत अधिक परिवर्तन आए हैं. किसी भी अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में सेवा का हिस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है. और सेवाओं के उत्पादन के लिए विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष खर्च करने पड़ते हैं. इस प्रकार यह स्पष्ट है की ओवरहेड की अवहेलना नहीं की जा सकती.
इसके अलावा ओवरहेड अप्रत्यक्ष लागत होने के कारण किसी विशेष वस्तु, सेवा या उत्पादन प्रक्रिया से प्रत्यक्ष रुप से जुड़े नहीं होते हैं. इसलिए इन्हें किसी उपयुक्त आधार (suitable basis) पर संबंधित वस्तुओं, सेवाओं या उत्पादन प्रक्रियाओं में आवंटित (allocate) किया जाता है. अगर ऐसा ठीक से नहीं किया जा सका, तो किसी भी वस्तु, सेवा, उत्पादन प्रक्रिया इत्यादि के कुल लागत (total cost) की गणना में त्रुटि हो जाएगी. पर इस प्रकार इनका मूल्य निर्धारण भी गलत होगा. ऐसी अवस्था में किसी एक वस्तु या सेवा या उत्पादन प्रक्रिया पर हानी और किसी अन्य पर लाभ होने लगेगा. जबकी वास्तविक अवस्था में दोनों ही वस्तुओं इत्यादि पर लाभ हो सकता है. इस प्रकार प्रबंधक द्वारा लिए गए निर्णय पर भी असर पड़ सकता है. इस प्रकार यह स्पष्ट है कि ओवरहैड बहुत अधिक महत्वपूर्ण है.
ओवरहेड कई प्रकार के हो सकते हैं. इसलिए इन्हें तीन श्रेणियों में बांट कर वर्गीकृत किया जा रहा है. ओवरहेड को तत्व (element), कार्य (function) और आचार (behaviour) के आधार पर निम्नलिखित शब्दों में वर्गीकृत किया जा सकता है...
• अप्रत्यक्ष सामग्री (इनडायरेक्ट मटेरियल)
जैसे कंस्यूमएबल स्टोर्स ,रुई, मोबिल, प्रथम उपचार सामग्री (first aid material),आग बुझाने की सामग्री, खाता बही (stationery), कर्मचारियों के लिए खाने का सामान, सफाई का सामान, वस्तुओं को पैक करने का सामान , वस्तुओं को वितरित करने का वाहन डिलीवरी वेन इत्यादि.
• अप्रत्यक्ष मजदूरी (इनडायरेक्ट लेबर)
जैसे दरवान, सुपरवाइजर, फैक्ट्री-प्रबंधक , यंत्रों के रखरखाव और मरम्मत में कार्यरत कर्मचारी, कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी, गोदाम के कर्मचारी, सफाई करने वाले कर्मचारियों , विक्रय कर्ता और वितरण कर्ता का वेतन इत्यादि.
• अप्रत्यक्ष खर्च (इनडायरेक्ट एक्सपेंसेस)
जैसे यंत्रों के मरम्मत और रखरखाव का खर्च, इमारतों का किराया, बीमा, मूल्यह्रास (depreciation), अन्य प्रशासनिक खर्च जैसे बिजली इत्यादि, विज्ञापन, दुकान के परिचालन, बाजार अनुसंधान (market research), प्रदर्शनी (exhibition), इत्यादि.
II. कार्य के आधार पर ओवरहेड निम्नलिखित प्रकार के होते हैं...
जैसे फैक्ट्री के अन्य कर्मचारियों का वेतन, फैक्ट्री का रेंट, बीमा, बिजली और अन्य इंधन (fuel)का खर्च, यंत्रों का रखरखाव, मरम्मत और मूल्यह्रास (depreciation) इत्यादि.
• प्रशासनिक ओवरहेड (एडमिनिस्ट्रेटिव ओवरहेड)
जैसे प्रशासनिक और कार्यालय के कर्मचारियों का वेतन , कार्यालय का किराया, बिजली का खर्च, छपाई का खर्च, लेखा- सामग्री (stationery) का खर्च, बीमा , पत्राचार (postage) टेलीफोन का खर्च, कानूनी खर्च, लेखा-परीक्षा शुल्क (audit fee), कार्यालय के यंत्रों का रखरखाव, मरम्मत और मूल्यह्रास, इत्यादि.
जैसे विक्रय कर्ताओ का वेतन और कमीशन, विज्ञापन और प्रचार का खर्च, विक्रय संवर्धन (sales promotion), नमूना (sample), उपहार (gift), इत्यादि के वितरण का खर्च, शोरूम का खर्च इत्यादि.
जैसे गोदाम का किराया, बीमा, टैक्स, माल ढुलाई का भाड़ा और बीमा , निर्मित वस्तुओं को पैक करने वाले कर्मचारियों का वेतन, वितरण-वाहन (delivery Van) के चालक का वेतन और वितरण विभाग के सभी संपत्तियों का मूल्यह्रास इत्यादि.
III. आचार के आधार पर ओवरहेड का वर्गीकरण
व्यवहार के आधार पर ओवरहेड मुख्यतया तीन प्रकार के होते हैं...
•स्थिर (फिक्स्ड) ओवरहैड
स्थिर ओवरहैड ऐसे अप्रत्यक्ष लागत है जो उत्पादन के आयतन में परिवर्तन के अनुसार परिवर्तित नहीं होते, अर्थात नहीं बदलते हैं. इसलिए अगर उत्पादन शून्य हो जाए या दुगना हो जाए, तो भी कोई स्थिर ओवरहैड जैसे फैक्ट्री का रेंट इत्यादि नहीं बदलेगा. जैसे फैक्ट्री का किराया, बीमा, टैक्स, लाइसेंस फी, इत्यादि प्रबंधकों का वेतन, पट्टा का किराया (lease rent) इत्यादि.
• परिवर्तनशील (वेरिएबल) ओवरहेड
यह ऐसे अप्रत्यक्ष लागत होते हैं जो उत्पादन में परिवर्तन के साथ बदलते रहते हैं. जैसे यंत्र को चलाने के लिए बिजली का खर्च, पैकिंग सामग्री, अप्रत्यक्ष श्रमिकों का वेतन, विक्रय कर्ताओं का कमीशन, इत्यादि. प्रति इकाई परिवर्तनशील ओवरहेड सामान्यतः स्थिर होते हैं.
• अर्ध-परिवर्तनशील (सेमी वेरिएबल) या अर्ध-स्थिर (सेमी फिक्स्ड) ओवरहेड
ऐसे अप्रत्यक्ष लागत उत्पादन के एक स्तर तक स्थिर रहते हैं, और उत्पादन के इस स्तर को पार करने के बाद इन में भी गैर-अनुपातिक (disproportionate) रूप से परिवर्तन होने लगता है. इसलिए ऐसे अप्रत्यक्ष लागतो को दो भागों में बांट लिया जाता है_ एक भाग लगभग हमेशा स्थिर रहता है. और दूसरा भाग उत्पादन की एक स्तर के परे परिवर्तित होने लगता है. उदाहरण के लिए कई अप्रत्यक्ष कर्मचारियों का वेतन पूर्व निर्धारित और निश्चित होता है. लेकिन अगर उन्हें अतिरिक्त कार्य करने के लिए कहा जाता है, तो उन्हें अतिरिक्त वेतन देना पड़ता है. इसे ओवरटाइम कहते हैं. इसी प्रकार दीर्घकाल में अगर उत्पादन को अचानक बढ़ाना पड़ता है, तो इसके लिए कुछ अतिरिक्त सुपरवाइजर्स को भी बुलाना पड़ता है. जिससे खर्च बढ़ने लगता है. किसी भी यंत्र का उपयोग अत्यधिक होने पर उसके मरम्मत और रखरखाव और मूल्यह्रास का खर्च भी बढ़ने लगता है. इस प्रकार यह स्पष्ट है की एक सीमा तक ऐसे लागत स्थित रहते हैं; और उसके बाद इन में परिवर्तन होने लगता है.
¶ प्रधान लागत (प्राइम कॉस्ट) और अप्रत्यक्ष लागत (ओवरहेड) में अंतर
प्राइम कॉस्ट और ओवर हेड में अंतर को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा समझा जा सकता है...
1. प्राइम कॉस्ट प्रत्यक्ष लागत होता है.
और ओवरहैड अप्रत्यक्ष लागत होते हैं.
2. प्रत्यक्ष सामग्री खर्च, प्रत्यक्ष मजदूरी और अन्य प्रत्यक्ष खर्चों के योगफल को किसी वस्तु, सेवा या उत्पादन प्रक्रिया का प्राइम कॉस्ट कहा जाता है.
इसके विपरीत किसी व्यवसायिक संस्था या संगठन के परिचालन के लिए किए गए खर्च जो किसी वस्तु या सेवा या किसी उत्पादन प्रक्रिया से प्रत्यक्ष रुप से जुड़े नहीं होते हैं उन्हें ओवरहेड कहते हैं.
3. प्राइम कॉस्ट के घटक जैसे प्रत्यक्ष सामग्री, प्रत्यक्ष श्रम, इत्यादि सामान्यतः पूरी तरह से परिवर्तनशील होते हैं. अर्थात उत्पादन के आयतन में नाम मात्र (nominal) परिवर्तन से भी इनमें परिवर्तन होता है.
ओवरहेड स्थिर, परिवर्तनशील या अर्ध-परिवर्तनशील हो सकते हैं. लेकिन दीर्घकाल में सभी लागत परिवर्तनशील होते हैं.
4. बिंदु 3 के अनुसार प्रती इकाई प्राइम कॉस्ट स्थिर रहेगा लेकिन कुल प्राइम कॉस्ट उत्पादन के आयतन में परिवर्तन के साथ बढ़ेगा और घटेगा.
ओवरहेड अपनी प्रकृति के अनुसार घट-बढ़ और स्थित रह सकता है. इसी प्रकार प्रति इकाई ओवरहेड भी स्थिर या परिवर्तनशील हो सकता है.
5. प्रधान लागत ऐसे लागत है जिनकी अनुपस्थिति में किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन की कल्पना नहीं की जाती जा सकती है. शायद इसीलिए इनका नाम प्रधान लागत या प्राइम कॉस्ट है.
ओवरहेड की आवश्यकता किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन के कारण ही जन्म लेती है. अगर प्रधान लागत शून्य हो अर्थात उत्पादन अगर नहीं हो, तो अन्य ओवरहेड लागत भी नहीं होने चाहिए. लेकिन ओवरहेड लागत ऐसे लागत है जो उत्पादन प्रक्रिया को संभव बनाते हैं. इसलिए दोनों ही लागत एक दूसरे के पूरक होते हैं.
6. प्रधान लागत का संबंध किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन या किसी उत्पादन प्रक्रिया से बड़ी आसानी से की जा सकती है. इसलिए इनके बंटवारे की समस्या नहीं होती है.
लेकिन ओवरहैड का संबंध प्रत्यक्ष रुप से किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन या उत्पादन प्रक्रिया से नहीं की जा सकती. इसलिए इन्हें किसी उपयुक्त आधार पर संबंधित वस्तुओं, सेवाओं या उत्पादन प्रक्रियाओं में बांटा जाता है.
किसी व्यवसाय या संगठन को चलाने के लिए किए गए खर्च या लागत को ओवरहैड या उपरिव्यय कहा जाता है. प्रधान लागत (प्रत्यक्ष सामग्री + प्रत्यक्ष मजदूरी) यानी प्राइम कॉस्ट (डायरेक्ट मटेरियल + डायरेक्ट लेबर) और अन्य प्रत्यक्ष खर्च को छोड़कर बाकी सभी खर्चों को सामूहिक रुप से ओवरहेड कह सकते हैं. यह अप्रत्यक्ष लागत होते हैं. इन्हें प्रत्यक्ष रुप से किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन या किसी उत्पादन प्रक्रिया से जोड़ा नहीं जा सकता है. इन्हें किसी उपयुक्त आधार पर विभिन्न वस्तु या सेवाओं या उत्पादन प्रक्रियाओं में बांटा जाता है. फैक्ट्री या ऑफिस इमारत का किराया, ऑफिस के कर्मचारियों का वेतन, विज्ञापन इत्यादि के लिए किए गए खर्च ओवरहेड के कुछ उदाहरण हैं.
ओवरहेड को अप्रत्यक्ष लागत, गैर-उत्पादक लागत, सप्लीमेंट्री खर्च या लागत, भार, लोड या लोडिंग इत्यादि भी कहा जाता है.
• ओवरहेड का महत्व (इंपॉर्टेंस ऑफ ओवरहेड)
किसी भी व्यवसायिक संस्था या संगठन में प्रत्यक्ष खर्चों के अलावा कई प्रकार के अप्रत्यक्ष खर्च अवश्य होते हैं, जैसे अगर किसी औद्योगिक फार्म को ही लिया जाए, तो उत्पादन में व्यवहार किए गए सामग्री और श्रमिकों को दिए गए वेतन के अलावा भी कई प्रकार के अन्य खर्च होते हैं. जिनके बिना उत्पादन प्रक्रिया बाधित हो सकती है. इस प्रकार यह स्पष्ट है कि किसी भी व्यवसायिक संस्था के मूल कार्य को करने के लिए कई प्रकार के अन्य खर्च भी करने पड़ते हैं. और उनसे बचा नहीं जा सकता है. उपरोक्त उदाहरण में फैक्ट्री का किराया, प्रबंधकों और कार्यालय के कर्मचारियों का वेतन, वस्तुओं या सेवाओं के विज्ञापन और प्रचार में खर्च, विक्रय कर्ताओं (sales men) का वेतन और दुकानों के परिचालन का खर्च, इत्यादि अप्रत्यक्ष लागत है. जिनकी अनुपस्थिति में संस्था का संचालन नहीं हो पाएगा; और किसी भी संस्था का अंतिम उद्देश्य उसके द्वारा बनाए गए वस्तु या सेवा के विक्रय के फलस्वरूप लाभ कमाना होता है. इसलिए अगर केवल उत्पादन करना संभव भी हो जाए, तो वस्तु या सेवाओं को बेचकर आय प्राप्त करने के लिए कई प्रकार के अन्य खर्च करने आवश्यक हैं. ऐसे ही खर्च को ओवरहेड कहा जाता है.
आधुनिक युग में उत्पादन प्रक्रिया और संस्थागत परिचालन और प्रबंधन में बहुत अधिक परिवर्तन आए हैं. किसी भी अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी में सेवा का हिस्सा लगातार बढ़ता जा रहा है. और सेवाओं के उत्पादन के लिए विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष खर्च करने पड़ते हैं. इस प्रकार यह स्पष्ट है की ओवरहेड की अवहेलना नहीं की जा सकती.
इसके अलावा ओवरहेड अप्रत्यक्ष लागत होने के कारण किसी विशेष वस्तु, सेवा या उत्पादन प्रक्रिया से प्रत्यक्ष रुप से जुड़े नहीं होते हैं. इसलिए इन्हें किसी उपयुक्त आधार (suitable basis) पर संबंधित वस्तुओं, सेवाओं या उत्पादन प्रक्रियाओं में आवंटित (allocate) किया जाता है. अगर ऐसा ठीक से नहीं किया जा सका, तो किसी भी वस्तु, सेवा, उत्पादन प्रक्रिया इत्यादि के कुल लागत (total cost) की गणना में त्रुटि हो जाएगी. पर इस प्रकार इनका मूल्य निर्धारण भी गलत होगा. ऐसी अवस्था में किसी एक वस्तु या सेवा या उत्पादन प्रक्रिया पर हानी और किसी अन्य पर लाभ होने लगेगा. जबकी वास्तविक अवस्था में दोनों ही वस्तुओं इत्यादि पर लाभ हो सकता है. इस प्रकार प्रबंधक द्वारा लिए गए निर्णय पर भी असर पड़ सकता है. इस प्रकार यह स्पष्ट है कि ओवरहैड बहुत अधिक महत्वपूर्ण है.
¶ ओवरहेड का वर्गीकरण (क्लासिफिकेशन ऑफ ओवरहेड)
ओवरहेड कई प्रकार के हो सकते हैं. इसलिए इन्हें तीन श्रेणियों में बांट कर वर्गीकृत किया जा रहा है. ओवरहेड को तत्व (element), कार्य (function) और आचार (behaviour) के आधार पर निम्नलिखित शब्दों में वर्गीकृत किया जा सकता है...
I. तत्व के आधार पर वर्गीकरण तथ्यों के आधार पर ओवरहेड निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं.
• अप्रत्यक्ष सामग्री (इनडायरेक्ट मटेरियल)
जैसे कंस्यूमएबल स्टोर्स ,रुई, मोबिल, प्रथम उपचार सामग्री (first aid material),आग बुझाने की सामग्री, खाता बही (stationery), कर्मचारियों के लिए खाने का सामान, सफाई का सामान, वस्तुओं को पैक करने का सामान , वस्तुओं को वितरित करने का वाहन डिलीवरी वेन इत्यादि.
• अप्रत्यक्ष मजदूरी (इनडायरेक्ट लेबर)
जैसे दरवान, सुपरवाइजर, फैक्ट्री-प्रबंधक , यंत्रों के रखरखाव और मरम्मत में कार्यरत कर्मचारी, कार्यालय में कार्यरत कर्मचारी, गोदाम के कर्मचारी, सफाई करने वाले कर्मचारियों , विक्रय कर्ता और वितरण कर्ता का वेतन इत्यादि.
• अप्रत्यक्ष खर्च (इनडायरेक्ट एक्सपेंसेस)
जैसे यंत्रों के मरम्मत और रखरखाव का खर्च, इमारतों का किराया, बीमा, मूल्यह्रास (depreciation), अन्य प्रशासनिक खर्च जैसे बिजली इत्यादि, विज्ञापन, दुकान के परिचालन, बाजार अनुसंधान (market research), प्रदर्शनी (exhibition), इत्यादि.
II. कार्य के आधार पर ओवरहेड निम्नलिखित प्रकार के होते हैं...
• उत्पादन ओवरहेड (production overhead)
जैसे फैक्ट्री के अन्य कर्मचारियों का वेतन, फैक्ट्री का रेंट, बीमा, बिजली और अन्य इंधन (fuel)का खर्च, यंत्रों का रखरखाव, मरम्मत और मूल्यह्रास (depreciation) इत्यादि.
• प्रशासनिक ओवरहेड (एडमिनिस्ट्रेटिव ओवरहेड)
जैसे प्रशासनिक और कार्यालय के कर्मचारियों का वेतन , कार्यालय का किराया, बिजली का खर्च, छपाई का खर्च, लेखा- सामग्री (stationery) का खर्च, बीमा , पत्राचार (postage) टेलीफोन का खर्च, कानूनी खर्च, लेखा-परीक्षा शुल्क (audit fee), कार्यालय के यंत्रों का रखरखाव, मरम्मत और मूल्यह्रास, इत्यादि.
• विक्रय ओवरहेड (sales overhead)
जैसे विक्रय कर्ताओ का वेतन और कमीशन, विज्ञापन और प्रचार का खर्च, विक्रय संवर्धन (sales promotion), नमूना (sample), उपहार (gift), इत्यादि के वितरण का खर्च, शोरूम का खर्च इत्यादि.
• वितरण ओवरहेड (distribution overhead)
जैसे गोदाम का किराया, बीमा, टैक्स, माल ढुलाई का भाड़ा और बीमा , निर्मित वस्तुओं को पैक करने वाले कर्मचारियों का वेतन, वितरण-वाहन (delivery Van) के चालक का वेतन और वितरण विभाग के सभी संपत्तियों का मूल्यह्रास इत्यादि.
III. आचार के आधार पर ओवरहेड का वर्गीकरण
व्यवहार के आधार पर ओवरहेड मुख्यतया तीन प्रकार के होते हैं...
•स्थिर (फिक्स्ड) ओवरहैड
स्थिर ओवरहैड ऐसे अप्रत्यक्ष लागत है जो उत्पादन के आयतन में परिवर्तन के अनुसार परिवर्तित नहीं होते, अर्थात नहीं बदलते हैं. इसलिए अगर उत्पादन शून्य हो जाए या दुगना हो जाए, तो भी कोई स्थिर ओवरहैड जैसे फैक्ट्री का रेंट इत्यादि नहीं बदलेगा. जैसे फैक्ट्री का किराया, बीमा, टैक्स, लाइसेंस फी, इत्यादि प्रबंधकों का वेतन, पट्टा का किराया (lease rent) इत्यादि.
• परिवर्तनशील (वेरिएबल) ओवरहेड
यह ऐसे अप्रत्यक्ष लागत होते हैं जो उत्पादन में परिवर्तन के साथ बदलते रहते हैं. जैसे यंत्र को चलाने के लिए बिजली का खर्च, पैकिंग सामग्री, अप्रत्यक्ष श्रमिकों का वेतन, विक्रय कर्ताओं का कमीशन, इत्यादि. प्रति इकाई परिवर्तनशील ओवरहेड सामान्यतः स्थिर होते हैं.
• अर्ध-परिवर्तनशील (सेमी वेरिएबल) या अर्ध-स्थिर (सेमी फिक्स्ड) ओवरहेड
ऐसे अप्रत्यक्ष लागत उत्पादन के एक स्तर तक स्थिर रहते हैं, और उत्पादन के इस स्तर को पार करने के बाद इन में भी गैर-अनुपातिक (disproportionate) रूप से परिवर्तन होने लगता है. इसलिए ऐसे अप्रत्यक्ष लागतो को दो भागों में बांट लिया जाता है_ एक भाग लगभग हमेशा स्थिर रहता है. और दूसरा भाग उत्पादन की एक स्तर के परे परिवर्तित होने लगता है. उदाहरण के लिए कई अप्रत्यक्ष कर्मचारियों का वेतन पूर्व निर्धारित और निश्चित होता है. लेकिन अगर उन्हें अतिरिक्त कार्य करने के लिए कहा जाता है, तो उन्हें अतिरिक्त वेतन देना पड़ता है. इसे ओवरटाइम कहते हैं. इसी प्रकार दीर्घकाल में अगर उत्पादन को अचानक बढ़ाना पड़ता है, तो इसके लिए कुछ अतिरिक्त सुपरवाइजर्स को भी बुलाना पड़ता है. जिससे खर्च बढ़ने लगता है. किसी भी यंत्र का उपयोग अत्यधिक होने पर उसके मरम्मत और रखरखाव और मूल्यह्रास का खर्च भी बढ़ने लगता है. इस प्रकार यह स्पष्ट है की एक सीमा तक ऐसे लागत स्थित रहते हैं; और उसके बाद इन में परिवर्तन होने लगता है.
¶ प्रधान लागत (प्राइम कॉस्ट) और अप्रत्यक्ष लागत (ओवरहेड) में अंतर
प्राइम कॉस्ट और ओवर हेड में अंतर को निम्नलिखित बिंदुओं द्वारा समझा जा सकता है...
1. प्राइम कॉस्ट प्रत्यक्ष लागत होता है.
और ओवरहैड अप्रत्यक्ष लागत होते हैं.
2. प्रत्यक्ष सामग्री खर्च, प्रत्यक्ष मजदूरी और अन्य प्रत्यक्ष खर्चों के योगफल को किसी वस्तु, सेवा या उत्पादन प्रक्रिया का प्राइम कॉस्ट कहा जाता है.
इसके विपरीत किसी व्यवसायिक संस्था या संगठन के परिचालन के लिए किए गए खर्च जो किसी वस्तु या सेवा या किसी उत्पादन प्रक्रिया से प्रत्यक्ष रुप से जुड़े नहीं होते हैं उन्हें ओवरहेड कहते हैं.
3. प्राइम कॉस्ट के घटक जैसे प्रत्यक्ष सामग्री, प्रत्यक्ष श्रम, इत्यादि सामान्यतः पूरी तरह से परिवर्तनशील होते हैं. अर्थात उत्पादन के आयतन में नाम मात्र (nominal) परिवर्तन से भी इनमें परिवर्तन होता है.
ओवरहेड स्थिर, परिवर्तनशील या अर्ध-परिवर्तनशील हो सकते हैं. लेकिन दीर्घकाल में सभी लागत परिवर्तनशील होते हैं.
4. बिंदु 3 के अनुसार प्रती इकाई प्राइम कॉस्ट स्थिर रहेगा लेकिन कुल प्राइम कॉस्ट उत्पादन के आयतन में परिवर्तन के साथ बढ़ेगा और घटेगा.
ओवरहेड अपनी प्रकृति के अनुसार घट-बढ़ और स्थित रह सकता है. इसी प्रकार प्रति इकाई ओवरहेड भी स्थिर या परिवर्तनशील हो सकता है.
5. प्रधान लागत ऐसे लागत है जिनकी अनुपस्थिति में किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन की कल्पना नहीं की जाती जा सकती है. शायद इसीलिए इनका नाम प्रधान लागत या प्राइम कॉस्ट है.
ओवरहेड की आवश्यकता किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन के कारण ही जन्म लेती है. अगर प्रधान लागत शून्य हो अर्थात उत्पादन अगर नहीं हो, तो अन्य ओवरहेड लागत भी नहीं होने चाहिए. लेकिन ओवरहेड लागत ऐसे लागत है जो उत्पादन प्रक्रिया को संभव बनाते हैं. इसलिए दोनों ही लागत एक दूसरे के पूरक होते हैं.
6. प्रधान लागत का संबंध किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन या किसी उत्पादन प्रक्रिया से बड़ी आसानी से की जा सकती है. इसलिए इनके बंटवारे की समस्या नहीं होती है.
लेकिन ओवरहैड का संबंध प्रत्यक्ष रुप से किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन या उत्पादन प्रक्रिया से नहीं की जा सकती. इसलिए इन्हें किसी उपयुक्त आधार पर संबंधित वस्तुओं, सेवाओं या उत्पादन प्रक्रियाओं में बांटा जाता है.
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